✍️चार नदीमातृक सभ्यता का नाम:
1) दजला और फरात नदियों की घाटियों में मेसोपोटामिया की सभ्यता।
(ii) नील नदी के किनारे मिस्र की सभ्यता ।
(iii) सिन्धु नदी घाटी में सिन्धु घाटी सभ्यता।
(iv) ह्रांग-हो-यांगटिसीक्यांग और सी क्यांग नदियों के किनारे चीन की सभ्यता।
प्राचीन सभ्यताओं का नदियों के किनारे विकसित होने के कारण
नव पाषाण काल के प्रारम्भ में मनुष्य नदियों के किनारे अपना स्थायी निवास बनाया और इस तरह विश्व प्राचीन चार सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ। इसके निम्नलिखित कारण थे -
(i) आविष्कार के लिए क्षेत्र :- आविष्कार विकास के लिए आवश्यक है। नदियों के किनारे सभ्यताएं विकसित हुई, क्योंकि यहाँ आविष्कार के लिए उपयुक्त साधन उपलब्ध थे। मिस्र में नील नदी के किनारे पर उगने वाले सरकण्डों, जिसे पेपिरस (Papyrus) कहते थे, से कागज के पन्ने का निर्माण हुआ। समय जानने के लिए घड़ी और कैलेण्डर की खोज हुई।
(ii) स्थायी निवास की खोज :- स्थायी निवास स्थान की खोज में मनुष्य नदी घाटी की ओर पहुँचे। यहाँ की उर्वर भूमि ने उनके भोजन और आवास की समस्या का समाधान कर उन्हें स्थायित्व प्रदान किया।
(iii) कृषि और पशुपालन के लिए जल की आवश्यकता :- प्राचीन काल में कृषि और पशुपालन जीविका के दो प्रमुख साधन थे। नदी की घाटियाँ ही ऐसी थी, जहाँ पशुओं के लिए चरागाह तथा कृषि के लिए पानी मिल सकता था।
(iv) जीवन के लिए जल की आवश्यकता : जीवित रहने के
लिए वायु और जल परम आवश्यक हैं। बढ़ती जनसंख्या के लिए पर्याप्त मात्रा में जल नदियों से ही सदा मिलता था।
इसी से नदी घाटियों को सभ्यता के लिए चुना गया।
😀😀😀😀😀😀😀😀😀😉
No comments:
Post a Comment