Saturday, November 19, 2022

कर्मनाशा की हार कहानी एक सामाजिक अंधविश्वास आधारित है कैसे यही स्पष्ट कीजिए।

📚कर्मनाशा की हार कहानी एक सामाजिक अंधविश्वास पर आधारित है,कैसे यह स्पष्ट कीजिए।
 (150 शब्दों में) (5Marks)

✍️उत्तरः डॉ० शिवप्रसाद सिंह द्वारा रचित 'कर्मनाशा की हार' शीर्षक कहानी एक सामाजिक अंधविश्वास पर आधारित है,इसे निम्न बिंदुओं के तहत स्पष्ट किया जा सकता है: -
(i)प्राकृतिक आपदा को किसी अंधविश्वास के साथ जोड़ देना :
गांव वालों का यह मानना-"कर्मनाशा की भीषण बाढ़ बिना मनुष्य की बलि लिए उतरती नहीं।" बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा को एक अंधविश्वास के साथ जोड़कर देखना है। इससे यह स्पष्ट होता है कि समाज अंधविश्वास पर आधारित है।
(ii) सामाजिक रूढ़ीवादी जात - पात पर आधारित समाज :
सामाजिक अंधविश्वास अर्थात पुरखों से चली आ रही जात- पात की मान्यताओं के बंदिश में समाज जीता है। विधवा विवाह अमान्य है । तभी तो भैरव पांडे सोचते हैं -"काश ! फूलमती अपनी जाति की होती। कितना अच्छा होता, वह विधवा न होती।"
(iii)घोर रूढ़िवादी कर्मकांड पर आधारित संवेदनशील समाज: जब दूसरे पर आती है तो " ई बाढी नदिया जिया लेके मानी" का कजली पर ठुमके लगाते हैं। और खुद पर आने पर फूलमती और उसके गोद के बच्चे को जीते- जी कर्मनाशा में फेंकने के लिए उतारू हो जाते हैं।
निष्कर्ष: उपर्युक्त तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि यह कहानी सामाजिक अंधविश्वास पर आधारित है।
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